बिहार में हवा बदली है… ऊंट अब करवट बदलने को है!” — चुनावी विश्लेषण

आलोक सिंह
आलोक सिंह

बिहार की राजनीति लंबे समय से जातीय गणनाओं पर आधारित रही है। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। युवा वर्ग, पहली बार वोट देने वाले और शिक्षित मतदाता विकास, रोजगार और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

केसी त्यागी का बयान: पहलगाम हमले पर सेना को खुली छूट, सभी राजनीतिक दल सरकार के साथ

महागठबंधन बनाम NDA

  • महागठबंधन की अगुवाई कर रहे तेजस्वी यादव रोजगार और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर मुखर हैं।

  • NDA (भाजपा-जदयू) ‘डबल इंजन सरकार’ की बात करते हुए पिछली योजनाओं की दुहाई दे रहा है।

नेताओं की साख भी बनी चुनौती

नीतीश कुमार की वापसी के बाद से उनकी छवि और विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं, वहीं तेजस्वी को युवाओं का समर्थन मिल रहा है लेकिन अनुभव की कमी विपक्ष को मुद्दा दे रही है।

चुप्पी में दबी असली करवट?

“बिहार में मौन मतदाता हमेशा चुनाव की दिशा तय करता है। इस बार वही ऊंट की असली चाल तय करेगा।”

क्या तीसरी शक्ति उभरेगी?

आसपास के दल जैसे AIMIM, VIP और अन्य क्षेत्रीय मोर्चे वोट काटने का काम कर सकते हैं — जिससे मुकाबला और कांटे का हो जाएगा।

इस बार बिहार का चुनाव सिर्फ जात-पात या गठबंधन का खेल नहीं, बल्कि आम मतदाता की चुप्पी, नाराज़गी और उम्मीदों का इम्तिहान है। ऊंट किस करवट बैठेगा, ये तो 2025 की वोटिंग बताएगी, लेकिन इतना तय है कि ये चुनाव बिहार की राजनीति की दिशा बदल सकता है।

भारत-पाक तनाव के बीच पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज में 2,500 अंकों की बड़ी गिरावट

Related posts